दोस्तों मुझे आपके साथ यह फोटोज साझा करते हुए बेहद ख़ुशी ही नहीं अपितु गर्व महसूस हो रहा है कि सयुक्त अरब एमिरात की तपतपाती गर्मी और रेतेली मिट्टी में मैंने 2006 में जो पौधा लगाया था वह अब पेड़ बनकर छाँव देने लायक हो गया है इस पेड़ की छाँव के नीचे बहुत सारे लोग, अवर ओन इंग्लिश हाई स्कूल – फुजैराह के विद्यार्थी, अभिभावक और शिक्षक गर्मी से थोडा बहुत राहत की सांस लेते होंगे | यह उन दिनों की बात है जब 2005 में मेरी इस विद्यालय में पहली नौकरी लगी थी और 50 के तापमान में काम करना पड़ता था तो एक पेड़ की छाँव के निचे कितनी राहत मिलती है यह वह ही महसूस कर सकता है जिसने इतनी गर्मी में रेगिस्तान में काम किया हो |
वैसे तो मैंने 10 पौधे लगाये थे और 1 साल तक उनको पानी भी देता रहा लेकिन डेढ़ साल में ही यह नौकरी छोड़ कर दुबई ट्रान्सफर हो गया था और आज जब 11 साल के बाद यह पेड़ देखा तो बहुत प्रसन्नता हुयी |
यह जरुरी नहीं कि आप विर्क्षरोपन सिर्फ अपने घर, गाँव और देश में ही करें अपितु इस सम्पूर्ण धरा में अगर कहीं भी विर्क्षरोपन करते हो तो समझो इस वसुंधरा को बचाने में अहम् योगदान दे रहे हो |
विनोद जेठुडी